आज से शुरू हुए चैत्र नवरात्र, नवरात्रि में इन खास मंत्रों का जाप करना होता है लाभकारी, जानें कैसे करें पूजा

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Publish : 22-03-2023 12:48 PM Updated : 22-03-2023 12:48 PM
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नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री माता की पूजा अर्चना की जाती है जो भक्तों को सुख-सौभाग्य और शौर्य प्रदान करती हैं।

 

पूर्णियाः चैत्र नवरात्रि की शुरुआत आज यानी बुधवार से हो रही है। इस बार चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से लेकर 30 मार्च दिन तक रहने वाले हैं। नवरात्रि के इन पवित्र दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपसना का विशेष महत्व बताया गया है। चैत्र नवरात्रि के नौ दिन आस्था और भक्ति के साथ ही साधना का अवसर भी लेकर आते हैं। 

"नवरात्रि में इन खास मंत्रों का जाप करना होता है लाभकारी"
नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री माता की पूजा अर्चना की जाती है जो भक्तों को सुख-सौभाग्य और शौर्य प्रदान करती हैं। पूर्णिया के ज्योतिष पंडित दयानाथ मिश्र ने बताया कि चैत्र नवरात्रि में धन लाभ के साथ आरोग्य की प्राप्ति करने के लिए खास मंत्रों का जाप करना लाभकारी होता है। इस बार नवरात्रि 22 मार्च शुरू होकर 30 मार्च तक चलेगा। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह से 9 बजे तक है। इसके बाद 10:30 बजे से लेकर 12 बजे तक कलश स्थापना कर सकेंगे। पंडित दयानाथ मिश्र ने कहा कि नवरात्रि में मदिरा, मछली, प्याज, मांस, लहसुन को नहीं खाना चाहिए, नहीं तो माता नाराज होती हैं।

वहीं नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि के दिनों में कई भक्त नौ दिनों तक अखंड ज्योति भी जलाने के साथ कलश स्थापना करते हैं। माना जाता है कि नवरात्रि के दौरान पूजा करने और व्रत रखने से मां दुर्गा हर कष्ट को हर लेती हैं और सुख-समृद्धि, धन-ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। 

ऐसे करें पूजा-अर्चना

  • नवरात्रि के पहले दिन घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ स्वास्तिक बनाएं और दरवाजे पर आम या अशोक के पत्तों का तोरण लगाएं।
  • नवरात्र के पहले दिन माता की मूर्ति या तस्वीर को लकड़ी की चौकी या आसन पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर स्थापित करना चाहिए।
  • माता के समक्ष मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं।
  • कलश स्थापना के साथ ही रोली, अक्षत, मोली, पुष्प आदि से देवी  के मंत्रों का उच्चारण करते हुए माता की पूजा करें। 
  • अखंड दीपक प्रज्वलित कर माँ की आरती करें।

 

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