Bihar Kidnapping : पुलिस का खौफ होता तो ESIC के पीछे लाश जलाकर पटना में नहीं घूमता हत्यारा

बिहटा के 12 साल के तुषार राज अपहरण का केस रविवार को हत्या में बदल गया। पुलिस के अनुसार यह किडनैपिंग-मर्डर एक अकेले का काम है। अगर सचमुच यह एक अकेले का काम है तो उस एक अकेले के मन में पुलिस के खौफ की असली हकीकत आगे की लाइनें बता देंगी। यह लाइनें इसलिए भी जरूरी हैं कि जिस तरह से पटना से पहले NMCH के डॉक्टर, फिर सारण से राजद नेता, फिर बेतिया से दो नाबालिग, फिर सहरसा से छह साल की बच्ची, फिर मुजफ्फपुर से डॉक्टर पुत्र और बिहटा से शिक्षक पुत्र के अगवा होने की खबरें आईं...वह डराती हैं। सचेत करती हैं। सोचने के लिए मजबूर करती हैं। हरेक पर अविश्वास जताने के लिए मजबूर करती हैं।
सबसे पहले तुषार के साथ राजधानी की बात
तुषार इकलौता था। छह बहनों का इकलौता भाई। मां-बाप के साथ इन बहनों के लिए आजीवन दर्द की खबर को 'सफलतापूर्वक उद्भेदन’ बताती हुई पुलिस कतई सुहा नहीं रही थी। पुलिस ने कथित तौर पर इसे 'अति-गंभीरता’ से लिया था, जबकि हकीकत यह है कि कर्ज से लदा एक शिक्षक पुलिसिया सिस्टम से पूरी तरह बेखौफ होकर अपने ही पूर्व छात्र का अपहरण कर भीड़भाड़ वाले विशाल ESIC अस्पताल के पीछे सुनसान में ले जाता है। गला दबाकर, चाकू से मारता है। फिर लाश जलाता है। जब वह एक अकेला था और अपहरण-हत्या की प्लानिंग पहले से थी तो उसे यह भी पता होगा कि लाश जलाने पर आग CCTV के दायरे में आ रही होगी। फिर भी वह बेखौफ था। पुलिस जब इस केस को कथित तौर पर 'अति-गंभीरता’ से ले चुकी थी, तब यह सब करने के बाद वह राजधानी पटना आता है। फिर जब उसे पता चलता है कि पुलिस को अपहरण की जानकारी दे दी गई है तो दोबारा लाश वाली जगह पर जाकर फिर से आग फूंकता है, ताकि कोई पहचान नहीं बचे। पुलिस किस 'लोकेशन’ का लगातार पीछा कर रही थी, यह बताना आसान नहीं। ऐसा इसलिए, क्योंकि बिहटा से पटना के वेस्ट बोरिंग कैनाल रोड (गिरफ्तारी वाली जगह) के बीच वह पुलिस मुख्यालय होकर भी गुजरा होगा और थाने तो कई पार किए होंगे।
सहरसा में बच्ची को भी एक ने ही किडनैप-रेप-मर्डर किया
शनिवार को सहरसा से एक बच्ची के किडनैप-रेप-मर्डर की खबर आई थी। पड़ोसी के दामाद ने उनके घर आकर बताया कि पत्नी से झंझट हो गया है। इस बात पर उसे वहीं घर में खाना खिलाया गया। खाना खाने के बाद वही पड़ोसी का दामाद छह साल की बच्ची को चॉकलेट दिलाने के बहाने लेकर निकला और अगवा कर लिया। घर वालों ने पुलिस को अपहरण करने वाले के बारे में भी बता दिया, लेकिन पुलिस की सक्रियता ऐसी रही कि दो दिन बाद उस बच्ची की लाश खेत में मिली। वह भी बहुत दूर नहीं। रेप के लिए ही अपहरण हुआ था, हालांकि अबतक पुष्टि की प्रक्रिया ही हो रही है।
बेतिया में बच्चियां नहीं लौटीं, डॉक्टर पुत्र किस्मत से लौटा
बेतिया में एक नाबालिग को शादी की नीयत से तीन युवकों ने अगवा किया और दूसरी नाबालिग का अपहरण तो मां के साथ यज्ञ से लौटते समय कर लिया गया। इन दोनों में तीन-तीन युवाओं पर आरोप है। सभी छह पहचान वाले हैं और केस में नामजद हैं, लेकिन पुलिस इन्हें गिरफ्तार नहीं कर सकी है और दोनों नाबालिग लड़कियों की बरामदगी भी नहीं हो सकी है। मुजफ्फरपुर के डॉक्टर पुत्र की किस्मत अच्छी थी कि अपहर्ता उसका रेंटर था और उसने अगवा होने की सूचना के बाद कुछ संदिग्ध गतिविधियां कर पुलिस को सुराग दे दिए। सारण से अपहृत राजद नेता ने खुद वापसी की कहानी बताई, जबकि पुलिस ने दबिश से बरामद करने का दावा किया। इधर, 1 मार्च को पटना के गांधी सेतु से गायब NMCH के डॉक्टर को नहीं ढूंढ़ सकी पुलिस सुराग देने वाले के लिए ढाई लाख का इनाम घोषित करने को मजबूर हुई। इससे पहले 5 फरवरी को गायब मधुबनी के DPO राजेश कुमार मिश्रा को लेकर भी पुलिस अपहरण से अलग थ्योरी पर चल रही है।