Success Story: 15 हजार थी सैलरी, लॉकडाउन में गई नौकरी तो जुगनू पंडित ने लगा डाली अपनी फैक्ट्री

बेगूसराय: कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के चलते हजारों लोगों का रोजगार छिन गया और न जाने कितने लोगों का व्यवसाय ठप हो गया. बड़ी-बड़ी कंपनियों ने एंप्लॉय को अपने कंपनी से निकाल दिया. लेकिन संकट की इस घड़ी में एक नौजवान अपने पड़ोस के कंपनी में हो रहे केमिकल निर्माण को देखकर सीखने की कोशिश की.आज वह अपनी हिम्मत, जज्बे और समझदारी से खुद का उद्योग लगाकर न सिर्फ आत्मनिर्भर बना बल्कि कई बेरोजगारों को रोजगार का अवसर भी प्रदान किया.
बिहार के बेगूसराय जिला अंतर्गत भगवानपुर प्रखंड का सुदूर देहाती क्षेत्र बनवारीपुर के रहने वाले गणेश पंडित के 34 वर्षीय पुत्र जुगनू पंडित ने भी कुछ ऐसा ही किया. जिन्होंने विकट परिस्थिति में भी अपनी हिम्मत नहीं हारी और खुद का रोजगार खड़ा कर आत्मनिर्भर बना.
लॉकडाउन के दौरान चली गई थी नौकरी
जुगनू पंडित ने बीकॉम तक की पढ़ाई की. इसके बाद आर्थिक रुप से कमजोर होने के कारण गुरुग्राम रोजगार की तलाश में चले गए. जहां कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन के दौरान साल 2020 में कंपनी ने काम से निकाल दिया. चुनौती को अवसर में बदलने के लिए बेरोजगार जुगनू पड़ोस के केमिकल निर्माण की कंपनी में जाना शुरू कर दिया और केमिकल बनाने की बारीकियों को सीखने लगा. केमिकल बनाने का काम देखते-देखते जब तरीका सीख लिया तब गांव आकर खुद केमिकल बनाने का काम शुरू कर दिया. स्थिति यह है कि उनका प्रोडक्ट बड़े-बड़े ब्रांड को टक्कर दे रहा है.
10 से अधिक लोगों को दिया है रोजगार
जुगनू पंडित ने बताया कि केमिकल फैक्ट्री में 10 से अधिक लोगों को रोजगार दिया है. फैक्ट्री में निर्मित हैंड वॉश, सेनीटाइजर, बर्तन धोने का प्रोडक्ट्स, टॉयलेट क्लीनर बड़े ब्रांड के प्रोडक्ट को टक्कर दे रहा है. वहीं जुगनू के केमिकल फैक्ट्री में उत्पादित प्रोडेक्ट बेगूसराय के अलावे खगड़िया और समस्तीपुर में बेची जाती है. मासिक सेल की बात करें तो लगभग चार लाख से अधिक का प्रोडक्ट बिक जाता है. जुगनू पंडित ने बताया कि गुरुग्राम में 15 हजार की नौकरी कर रहे थे. जब हालात सुधरा तो अब 10 हजार की नौकरी खुद दे रहे हैं. हर माह लगभग 40 से 50 हजार तक की कमाई भी हो जा रही है.
कोरोना काल में हुई योजना की शुरुआत
गौरतलब है कि आत्मनिर्भर भारत योजना की शुरुआत सरकार ने कोरोना काल के दौरान की थी. आत्मनिर्भर भारत योजना का लक्ष्य रोजगार के नुकसान की भरपाई करना है. बेगूसराय में प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना और मुख्यमंत्री उद्यमी योजना बेरोजगारों को रोजगार देने का काम करते दिख रही है. हालांकि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए बेरोजगारों को सरकारी कार्यालय का सालों भर चक्कर लगाना पड़ रहा है. तब जाकर कहीं सफलता मिल पा रही है.