Begusarai: गया था मछली पालन का ट्रेनिंग लेने, सीख कर आ गया बत्तख पालने का तरीका; अब हो रही लाखों की कमाई

बेगूसराय: किसान जी-तोड़ मेहनत कर अधिक मुनाफा कमाने की कोशिश में लगे रहते हैं. लेकिन इसके बावजूद बहुत से किसान पारंपरिक खेती में अधिक मुनाफा नहीं कमा पाते हैं. बेगूसराय जिले के प्रगतिशील किसान अब गेहूं मक्का, मिर्च और पपीता की खेती के अलावा मुनाफे के लिए अन्य नकदी फसलों की खेती को आजमाना शुरु कर दिया है. आज हम बात कर रहे हैं जिले के इकलौते बत्तख पालन कर रहे किसान अविनाश कुमार की. जो बत्तख पालन कर न सिर्फ मुनाफा कमा करे हैं बल्कि इलाके के किसानों को प्रेरित करने का काम भी कर रहे हैं.
बेगूसराय जिले के चेरिया बरियारपुर के रहने वाले अविनाश कुमार ने साल 2022 की शुरुआत में बेगूसराय कृषि विभाग के द्वारा दिए जा रहे मछली पालन का प्रशिक्षण लेने के लिए पटना गए. इस दौरान उन्होंने वहां पर मछली के साथ बत्तख पालने के बारे में भी जानकारी ली. गांव लोटने के बाद 28 अप्रैल 2022 को अविनाश ने अपने ढाई बीघा के प्लॉट के बीच में एक एकड़ में तालाब खुदवाया. इसके बाद एक झोपड़ीनुमा घर बत्तख रखने के लिए बनाया. जिसके बाद मछली और बत्तख का उत्पादन शुरु किया. मछली के साथ बत्तख पालन में सफलता हाथ लगी और अच्छा-खासा मुनाफा भी हुआ. काम बढ़ा तो कामगार की जरूरत महसूस होने लगी. इसके बाद 10 हजार प्रतिमाह की सैलरी पर पांच लोगों को देखरेख के लिए रख लिया.
बत्तख और मछली पालन से हर माह है चार लाख का टर्नओवर
अभिनव कुमार ने बताया कि 6 महीने में 40 क्विंटल मछली का उत्पादन आसानी से कर लेते हैं. बाजार में मछली की कीमत 8 लाख तक मिल जाती है. वहीं बत्तख पालन को लेकर अभिनव कहते हैं कि 3 हजार चूजा से इसकी शुरुआत की गई थी. वर्तमान में उनके पास 2 हजार पीस बत्तख है. इन बत्तख से तकरीबन 30 हजार अंडे का हर माह उत्पादन हो जाता है. वहीं सभी अंडे को दस रूपए पीस के हिसाब से नेपाल के कारोबारी ले जाते हैं. मछली और बत्तख पालन मिलाकर हर माह चार लाख का टर्नआवेर है. उन्होंने बताया कि चावल, मक्का, चोकर, घोंघे, मछली खाना बत्तख पसंद करती हैं. जबकि उनके इस तालाब के कीड़े मकोड़े खाकर अपना पेट भर लेती है. अविनाश ने आगे बताया कि अंडा उत्पादन के लिए इंडियन रनर प्रजाति को बत्तख पाल रहें हैं.