Begusarai News: बेगूसराय की यह महिलाएं हरित खाद से बन रही आत्मनिर्भर, इतना हो रहा मुनाफा

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Publish : 02-02-2023 3:32 PM Updated : 02-02-2023 3:32 PM
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बबली ने बताया कि जीविका से हरित खाद बनाने की विधि के बारे में जानकारी ली. इसके बाद अपने समूह की दो अन्य महिलाओं के साथ खाद बनाने में जुट गई. खाद के निर्माण में फ्लाई ऐश गोबर, यूरिया, डीएपी का मिश्रण कर बैक्टीरिया डाला जाता है जो 32 दिन में तैयार हो जाता है. खाद के प्रयोग से खेत में लगने वाले कीट की संख्या कम हो जाती है एवं पैदावार अच्छी होती है.

 

बेगूसराय. जिले में मेहनत और लगन के बूते महिलाएं अपनी तकदीर खुद गढ़ रहीं हैं. कभी चंद पैसों के लिए मोहताज महिलाएं अब आर्थिक रूप से संपन्न हो रहीं हैं. आत्मनिर्भर होकर वह घर चला रहीं हैं. बेगूसराय जिले के अंतर्गत गढ़पुरा प्रखंड स्थित कुम्हारसो पंचायत के कुंवरटोल गांव की ऐसी ही एक महिला है बबली शर्मा, जो क्षेत्र की तीन महिलाओं के परिवार के लिए पालनहार बन गई है. बबली ने अपने तीन साथियों के साथ मिलकर जीविका के सहयोग से हरित खाद का निर्माण शुरू किया है. जो कि इनके के लिए कमाई का जरिया बन गया है और यह वर्तमान में 50 बोरी हरित खाद तैयार कर रही हैं.

 

2021 से हरित खाद बनाने के कार्य में जुटी है बबली

बबली शर्मा अपने हाथों से हरित खाद तैयार करती हैं. इसे खेती बाड़ी में उपयोग करने के लिए आस-पास के किसानों को भी उपलब्ध करा रही हैं. जिससे इनकी आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ हो रही है. साथ ही गांव की अन्य महिलाओं को भी इससे जोड़कर रोजगार दे रही हैं. बबली ने बताया कि उनके साथ रिंकू देवी, सुनीता देवी, रेणु देवी, खुशबू देवी आदि शामिल हैं. उन्होंने बताया कि साल 2021 में जीविका के सहयोग से प्रशिक्षण लेने के बाद हरित खाद बनाने का काम शुरू किया. रोजाना एक टन हरित खाद का उत्पादन हो रहा है और इससे महीने में 50 हजार की बचत हो जाती है.

 

जीविका से जुड़कर हरित खाद तैयार करने का मिला आइडिया

बबली ने बताया कि जीविका के द्वारा स्वरोजगार के संबंध में विभिन्न तरह के कार्यों का प्रशिक्षण दिया जाता है. इसमें हरित खाद बनाने की विधि के बारे में जानकारी ली. हरित खाद बनाने की विधि पसंद आया. इसके बाद उन्होंने अपने समूह की दो अन्य महिलाओं के साथ खाद बनाने में जुट गई. उन्होंने बताया कि खाद के निर्माण में प्रयुक्त होने वाली सामग्री उपलब्ध कराए जाने में बरौनी एनटीपीसी से फ्लाई ऐश सप्लाई मंगाया गया. इसके बाद गोबर, यूरिया, डीएपी का मिश्रण कर बैक्टीरिया डाल दिया गया. प्रशिक्षण में बताए गए तरीके को अपनाते हुए 32 दिन बाद खाद तैयार हो जाती है. खाद के प्रयोग से खेत में लगने वाले कीट की संख्या भी धीरे-धीरे कम हो जाती है एवं पैदावार भी अच्छी होती है.

 

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