Begusarai News : सुरेश ने शुरू की नेचुरल फार्मिंग, चार बीघे में खेती कर कमा रहे हैं इतना मुनाफा

बेगूसराय. पारंपरिक खेती में अधिक मेहनत के बावजूद किसानों को सही उपज नहीं मिल पाता है. जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान भी सहना पड़ता है. अब किसान पारंपरिक खेती से होने वाले घाटे को पाटने के लिए नई तकनीक का सहारा ले रहे हैं. ताकि न्यूनतम खर्च पर अधिक बचत किया जा सके. किसानों के पास नेचुरल फार्मिंग का एक बेहतर विकल्प सामने आया है. किसान जुड़कर किसान खेती कर रहे हैं और मुनाफा भी कमा रहे हैं. प्राकृतिक खेती के फायदे को जानने के बाद बेगूसराय के मंझौल के रहने वाले सुरेश ने इसे आजमाया और उन्हें इससे फायदा भी हुआ.
खेतीबाड़ी में बचत का हिसाब जोड़ते वक्त मिला आइडिया
बेगूसराय जिले के मंझौल के रहने वाले किसान सुरेश ने बताया कि प्राकृतिक खेती के बारे में समाचार पत्रों के माध्यम से आइडिया मिला. पारंपरिक खेती करने के दौरान बचत का हिसाब जोड़ा तो उस वक्त समझ में आया कि प्राकृतिक खेती करना कारगर साबित हो सकता है. उन्होंने बताया कि रासायनिक खाद का उपयोग पहले काफी ज्यादा करते थे, मगर उसमें कोई बचत नहीं थी.
इसके कारण प्राकृतिक खेती की ओर झुकाव हुआ. इस तकनीक का भी प्रयोग कर देखा कि क्या परिणाम मिलता है. प्रयोग सफल रहा और फसल का पैदावार भी बेहतर रहा. खोदावंदपुर कृषि विज्ञान केंद्र से प्राकृतिक खेती को बेहतर तरीके से करने के लिए प्रशिक्षण लिया.
प्राकृतिक खेती करने से रासायनिक खाद का बच रहा है कीमत
किसान सुरेश कुमार ने बताया साल 2022 में प्राकृतिक खेती की शुरुआत की. अभी 4 बीघेमें प्राकृतिक खेती कर रहे हैं. इस 4 बीघे में जो 50 हजार मूल्य के रासायनिक खाद के प्रयोग करते थे, उसका प्रयोग नहीं कर रहे हैं और यह पूरी राशि बच रही है.
प्राकृतिक तरीके से खेती करने के लिए तीन पशुओं को भी खरीदा है. इन पशुओं के गोबर और गोमूत्र से सालों भर चार बीघा में लगे फसलों में प्रयोग करने के लिए जीवामृत बनाकर प्रयोग करते हैं. किसान सुरेश के मुताबिक प्राकृतिक खेती से अनाज और सब्जियां सहित फल उगते हैं. रबी सीजन में गेहूं की बंपर पैदावार मिली है. सरसों, गेहूं, गन्ना, आम के बगीचे में भी इस जीवामृत का प्रयोग करते हैं. प्राकृतिक खेती अपनाकर सुरेश खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं.