IAS Deepak Rawat : ‘कबाड़ीवाला’ बनना चाहते थे, आज है देश के चर्चित IAS, जानें- संघर्ष भरी कहानी..

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Publish : 28-01-2023 8:45 PM Updated : 28-01-2023 8:45 PM
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IAS Deepak Rawat : देश में कई आईएएस अपने काम को लेकर चर्चा में रहते हैं, उन्हीं में से एक हैं IAS दीपक रावत। दीपक रावत अक्सर अपने 40 लाख सब्सक्राइबर वाले यूट्यूब चैनल पर और अखबारों की सुर्खियों में नजर आते हैं। उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह आईएएस बनेंगे, लेकिन कुछ ऐसा हुआ जिसने उनकी जिंदगी बदल दी, तो आइए जानते हैं, कावड़ीवाला बनने की ख्वाहिश रखने वाले IAS दीपक रावत की कहानी।

 

देश में कई आईएएस आए दिन अपने काम को लेकर चर्चाओं में बने रहते हैं इन्हीं में से एक आईएएस दीपक रावत है दीपक रावत अक्सर अखबारों के हेड लाइन पर अपने चार मिलियन सब्सक्राइबर वाले यूट्यूब चैनल पर दिख जाते हैं। इन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि या यस बनेंगे लेकिन कुछ ऐसा हुआ कि उनकी जिंदगी ही बदल गई तो आइए कभी कबाड़ी वाला बनने की इच्छा रखने हो वाले दीपक रावत की आईएस बनने तक की कहानी को जानते हैं।

 

IAS दीपक रावत का जन्म 24 सितंबर 1977 को हुआ था। वह बरलोगगंज, मसूरी, उत्तराखंड के रहने वाले हैं। दीपक रावत का जीवन संघर्षों से भरा रहा। उन्होंने सेंट जॉर्ज कॉलेज, मसूरी से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक किया। एक लेख के अनुसार, जब वह 24 वर्ष के थे, तब उनके पिता ने उन्हें खुद कमाने के लिए कहा और पॉकेट मनी देना बंद कर दिया। जेएनयू से एमफिल करने वाले रावत का 2005 में जेआरएफ के लिए चयन हुआ और उन्हें 8000 रुपये प्रति माह मिलने लगे।

 

बनना था कबाड़ीवाला बन गए कलेक्टर

बताया जाता है कि दीपक जब 11वीं-12वीं में थे, तब ज्यादातर छात्र इंजीनियरिंग या डिफेंस में जाने की तैयारी कर रहे थे। दीपक की इन सभी परीक्षाओं में रुचि नहीं थी। एक यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में दीपक रावत ने बताया कि उन्हें डिब्बे, टूथपेस्ट की खाली ट्यूब आदि जैसी चीजों में काफी दिलचस्पी थी। दीपक रावत को लगा कि कबाड़ीवाला बनकर उन्हें अलग-अलग चीजों को एक्सप्लोर करने का मौका मिलेगा।

 

बिहार के छात्रों से मिली प्रेरणा : पढ़ाई के दौरान दीपक की मुलाकात बिहार के कुछ छात्रों से हुई। इन छात्रों से मिलने के बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करने का फैसला किया। दो बार फेल हुए लेकिन सिविल सर्विसेज की धुन उनके सिर पर थी। उन्होंने तीसरे प्रयास में यूपीएससी पास किया। वर्ष 2007 में वे उत्तराखंड कैडर के आईएएस अधिकारी बने।

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